महाराजा की महत्वाकांक्षा ने, वजीरों को शहीद करवा दिया, शेष 3 साल बाद हो जाएंगे शहीद,,,, चौथा तंत्र भोपाल। शह और मात का गेम है साहब, प्यादे हरकत करते हैं, वजीर, उनका नेतृत्व, प्यादे शहीद होते रहते हैं, बजीर कई बार बच जाते हैं, ज्यादा होशियार और चालक व जीरो को पहले लड़ने के लिए भेजा जाता है, और वे शहीद हो जाते हैं, इतिहास गवाह है राजा महाराजाओं के महत्वाकांक्षाओं को, पूर्ण करने के लिए क्या दूं और वजीर ओं को कुर्बानी देनी ही पड़ती है, कुर्बानी देने के पहले उनका तिलक किया जाता है सम्मान किया जाता है माला पहनाई जाती है, मध्य प्रदेश की राजनीति में ही ऐसा कुछ जनाब सब कुछ घटित हुआ है, एक महाराजा के महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए, उसकी शान बान ऑन को बनाए रखने के लिए, माला पहनाई गई, राजतिलक किया गया, इस उपचुनाव में कुछ वजीर शहीद हो गए, कुछ शेष बचे हैं, दो-तीन साल के बाद शहीद हो सकते हैं मध्य प्रदेश की राजनीति में, ग्वालियर चंबल संभाग से दंभ भरने वाले, महाराजा को, उपचुनाव में, जमीनी हकीकत का आभास हो गया, 16 विधानसभा क्षेत्रों की कई विधानसभाओं में हारने के बाद, 3 वजीरो का राजनीतिक भविष्य तबाह हो गया। महाराजा जमीन खिसकते देख, शहादत पर रोने तक नहीं आए, और वहीं से सीधे दिल्ली निकल गए, इसराना क्षेत्र में शहीद हुए 3 का राजनीतिक भविष्य तबाह हो गया, उनकी राजनीतिक यात्रा, लगभग समाप्त सी हो गई, ना तो उन्हें कांग्रेस टिकट देगी, ना आप भाजपा उन्हें अपने पार्टी से टिकट देगी, कुछ वजीर शिवराज की लहर से चपेट में आने से बच गए, लेकिन उनका भी जीवन केवल 3 साल तक शेष है आगामी 2022 के चुनाव में, भाजपा अपनी जमीनी जुड़ा वाले नेताओं को टिकट देने जा रहे हैं, जिन्होंने वर्षों से भाजपा की सेवा की है, 2022 में ऐसे ही लोगों को टिकट देने की रणनीति है, शेष बचे व जीरो का राजनीतिक भविष्य समाप्त होने से कोई नहीं बचा सकता, ना तो उन्हें कांग्रेसी टिकट देगी ना आने वाले समय में भाजपा, महाराजा को भी ज्यादा कुछ मिलने नहीं जा रहा है महाराजा राज्यसभा सांसद तक सीमित रह जाएंगे, क्योंकि भाजपा उनकी जमीनी हकीकत जान चुकी है, केंद्र में मंत्री पद मिलने की अटकलें शेष रह जाएंगी
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महाराजा की महत्वाकांक्षा ने, वजीरों को शहीद करवा दिया, शेष 3 साल बाद हो जाएंगे शहीद,,,,